आज देश की सड़को पर क्यों सन्नाटा पसर रहा,
उतरा हो कोई चांद धरा पर शीतलता सा बरस रहा l
गगन शांत है पवन शांत है शांत गंगा की पावन धारा है,
शांत सुबह की ललित तरंगें, शांत शशि उजियारा है
कारों में चलने वाला अब, सड़कों पर जानें तरस रहा,
आज देश की सड़को पर क्यों सन्नाटा पसर रहा l
हुई प्रकृति अमृत सी पावन अब मानव की लाचारी से,
प्रदूषण का नाम नहीं है दिल्ली की दरबारी पे l
अपनो से मिलने को ही अपना मानो जैसे तरस रहा,
आज देश की सड़कों पर क्यों सन्नाटा बरस रहा l
एक अजब महामारी से ये जग सारा जूझ रहा,
मानो धरती पर कोई दानव सा कोरोना घूम रहा
पल पल मानो कोई पंछी बिन पानी के तरस रहा है l
आज देश की सड़कों पर क्यों सन्नाटा बरस रहा l 2
कवि-राधेश्याम सिरोंज