भोपाल
बाबाओं की दखलदांजी तो मध्यप्रदेश में हर किसी की सरकार में होती है। सरकारें इन बाबाओं से डरती भी हैं। शिवराज सरकार के बाद कमलनाथ की सरकार भी इससे अछूती नहीं है। कई बाबाओं का प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद दखल बढ़ गया है। किसी को पद मिल गया है तो कोई पद पाने की आस में लॉबिंग में जुटा है। कई ऐसे भी हैं जो पाला बदल रहे हैं। कभी दिग्विजय सिंह के लिए जान देने की बात करने वाले मिर्ची बाबा अब सिंधिया के समर्थन में आ गए हैं।
ये बाबा जब रूठ जाते हैं, तो इनका मानमनौव्वल भी होता है। वो भी कोई साधारण कार्यकर्ता नहीं, मंत्री लेवल के लोग जाते हैं। बाबाओं की हैसियत इतनी हैं कि सरकार के विधायक और मंत्री से भिड़ने में कतई हिचक नहीं रखते हैं। उस सूची में कंप्यूटर बाबा का नाम सबसे ऊपर आता है। मध्यप्रदेश की सरकार ने लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें नर्मदा न्यास बोर्ड का अध्यक्ष बनाया है। अभी दिग्विजय सिंह के भाई और कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह से भिड़े हुए हैं।
लक्ष्मण सिंह ने कहा है कि फर्जी हैं बाबा
दरअसल, कंप्यूटर बाबा ने शिवराज सिंह के जमाने में भी सत्ता की मलाई खाई है। विधानसभा चुनाव से ऐन पहले इन्होंने पाला बदल लिया था। उसके बाद कांग्रेस के लिए काम करने लगे थे। कांग्रेस में दिग्विजय सिंह के करीबी बताए जाते हैं। लोकसभा चुनाव में साधुओं की पूरी पलटन के साथ दिग्गी के लिए प्रचार कर रहे थे। लेकिन दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह इन्हें पसंद नहीं करते हैं।
चांचौड़ा से कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने कंप्यूटर बाबा को फर्जी बता दिया है। उन्होंने कह दिया है कि शिक्षित समाज में फर्जी बाबाओं की कोई जगह नहीं है। ऐसे लोगों को कोई स्वीकार नहीं करेगा। साथ ही यह भी कहा था कि कांग्रेस अगर ऐसे फर्जी बाबाओं को साथ रखती है तो भविष्य में नुकसान की काफी संभावना है। कंप्यूटर बाबा ने भी पलटवार करते हुए कहा था कि जो उन्हें अच्छा लगता है वो बोलें, मुझे जो सही लगता है वो मैं कहूंगा।
मंत्री से भी भिड़े हैं बाबा
कंप्यूटर बाबा लक्ष्मण सिंह से पहले खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल से भी भिड़ चुके हैं। बाबा नर्मदा में अवैध रेत खनन को लेकर लगातार छापेमारी कर रहे थे। इस पर मंत्री प्रदीप जायसवाल भड़क गए थे। उन्होंने कहा था कि बाबा को बाबागिरी करनी चाहिए, उन्हें खनिज विभाग के काम में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। कंप्यूटर बाबा ने इस पर पलटवार करते हुए कहा था कि मंत्री प्रदीप जायसवाल अपनी मर्यादा भूल रहे हैं। अवैध खनन को रोकने के लिए उन्होंने कोई काम नहीं किया है। बाद में किसी तरह दोनों के बीच चल रहे शीत युद्ध को सुलझाया गया।
मिर्ची बाबा ने बढ़ाई टेंशन
दरअसल, अभी तक दिग्विजय सिंह के पक्ष में काम करने वाले मिर्ची बाबा अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष में उतर आए हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान मिर्ची बाबा ने दिग्विजय सिंह के लिए पांच क्विंटल मिर्ची से हवन किया था। साथ ही दावा किया था कि अगर वह चुनाव नहीं जीतते हैं तो मैं जल समाधि ले लूंगा। नतीजे आएं तो कुछ महीनों के लिए बाबा गायब हो गए।
करीब दो महीने बाद वह प्रकट हुए और जल समाधि लेने के लिए भोपाल में प्रशासन से अनुमति मांगी। लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई। मगर बाबा ने नाटक खूब किया। अब ग्वालियर में उन्होंने कहा है कि अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया सड़कों पर उतर जाएं तो मैं खुद अपने बीस हजार साधुओं को साथ में लेकर सिंधिया के साथ सड़कों पर उतर जाऊंगा। क्योंकि मध्यप्रदेश की जनता कांग्रेस सरकार को इसलिए सत्ता में लाई है, ताकि सरकार जनता के वादे पूरे कर सके।
पद के लिए बाबा करने जा रहे थे खुदकुशी
कांग्रेस में अपनी पैठ बनाने के लिए ये बाबा डर भी दिखाते हैं। कुछ महीने पहले देव मुरारी बापू ने सरकार से गौ-संवर्द्धन बोर्ड का अध्यक्ष पद मांगा था। साथ ही नहीं मिलने पर सीएम हाउस के बाहर आत्मदाह करने की बात कही थी। बाद में बाबा को मनाने के लिए सरकार वरिष्ठ मंत्री पीसी शर्मा पहुंचे थे। उनका कहना था कि कांग्रेस के लिए काम करने के बाद कथावाचन के लिए लोग मुझे नहीं बुलाते हैं।
बदलते रहते हैं पाला
ये बाबा वक्त के साथ पार्टी के अंदर अपने आका भी बदलते रहते हैं। समय के अनुसार सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं। इसके साथ ही अपने काम भी निकालते हैं। ताज्जुब तब होती है, जब सरकार इनकी मांगों के आगे झुक जाती है। अब दिग्विजय के करीबी मिर्ची बाबा ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आ गए हैं।