रायपुर
- छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया
ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे से की है। गुरुवार को पुनिया ने कहा कि मोदी और गोडसे में एक समानता है। जिस तरह गोडसे ने गोली मारने से पहले गांधी के पैर छुए, उसी तरह मोदी ने सदन और संविधान पर माथा टेका। आज इन दोनों ही व्यवस्थाओं काे समाप्त किया जा रहा है। दरअसल, पुनिया जिला पंचायत चुनावों को लेकर बुलाई गई कांग्रेस की बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने एससी/एसटी नियुक्ति और पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी मीडिया से बातचीत की।
इन लोगों ने संविधान की प्रतियां जलाई थीं
पुनिया ने कहा- प्रधानमंत्री और सरकार संविधान पर हमला कर रही है। इसे स्वतंत्रता सेनानियों ने तैयार किया था। ये वे लोग हैं, जिन्होंने संविधान की प्रतियां जला दी थीं। आज वे इसके आगे झुक रहे हैं। गोडसे ने सबसे पहले गांधी जी के पैर छुए और फिर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। इस नाटक को सभी जानते हैं। यह इनकी पुरानी परंपरा है। उन्होंने कहा- संविधान की मूल भावना है कि बराबरी लाने के लिए योजना बना सकते हैं और आरक्षण उनमें से ही एक है, लेकिन ये मानते कहां हैं।
उन्होंने कहा- यह लोग संविधान पर सीधा हमला करते हैं। वे लोग कहते हैं कि 2019 में संविधान पर माथा टेका था और 2014 में जब संसद में पहली बार आए थे तो उसकी सीढ़ी पर माथा टेका था। यह उनकी आदत है। 2014 में संसद में सिर झुकाकर अंदर गए थे। उसके बाद संसद काे जिस तरीके से ट्रीट किया जा रहा है, संसदीय प्रणाली (पार्लियामेंट्री प्रोसेस) को बायपास कराकर कानून पास कराए जा रहे हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। एससी/एसटी, ओबीसी के अधिकारों पर खुलेआम हमला हो रहा है। इसमें केंद्र में बैठे नरेंद्र मोदी से लेकर सब लोग शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ पुर्नविचार याचिका दायर करेगी कांग्रेस
पुनिया ने कहा- एससी/एसटी नियुक्ति और पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कांग्रेस पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। उन्होंने कहा- कांग्रेस ने इसके लिए केंद्र सरकार से कानून बनाने की मांग भी की है। फैसले के विरोध में छत्तीसगढ़ में 16 फरवरी के बाद कार्यक्रम बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा- भाजपा एससी/एसटी और ओबीसी आरक्षण को लेकर कुठाराघात करना चाहती है। भाजपा आरक्षण का खुलकर विरोध कर रही है।
फैसले के पैराग्राफ 8 और 12 में भी इसका उल्लेख है, जिसमें कहा गया है कि एससी/एसटी व ओबीसी आरक्षण कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। राज्यों का भी वैधानिक उत्तरदायित्व नहीं है। यह सरकार के विवेक पर निर्भर करता है कि वह किसी वर्ग को आरक्षण दे या नहीं दे। उन्होंने कहा- यह कोई सोच नहीं सकता कि आरक्षण को लेकर भाजपा की यह सोच है। केंद्र सरकार और भाजपा आरक्षण खत्म करना चाहती है।