भोपाल।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का शासकीय विद्या विहार उमावि ऐसा स्कूल है, जहां विद्यार्थियों की तरह शिक्षकों के लिए भी ड्रेस कोड अनिवार्य है। विभाग के फैसले से पहले ही ड्रेस कोड का प्रावधान करने वाला यह प्रदेश का पहला स्कूल है। स्कूल की प्राचार्य और शिक्षकों ने मिलकर यह पहल खुद की है। स्कूल में महिला शिक्षिका प्रिंटेड लाल रंग की साड़ी के ऊपर गहरे हरे रंग की ब्लेजर में नजर आती हैं तो वहीं पुरुष शिक्षकों को सफेद शर्ट और नेवी ब्लू पैंट के साथ गहरे हरे रंग के ब्लेजर में आना अनिवार्य है। ब्लेजर में स्कूल का मोनो भी बना है और नेमप्लेट पर नाम और पद भी लिखे हुए हैं।
स्कूल में पहली से पाचवीं तक 500 बच्चे अध्ययनरत् हैं और शिक्षकों की संख्या 35 हैं। विभाग ने इस स्कूल को मिशन-1000 में भी शामिल किया है। जिसे उत्कृष्ट विद्यालय की तरह विकसित किया जाएगा। बीते शनिवार को विभाग की प्रमुख सचिव और आयुक्त ने स्कूल में शिक्षकों को ड्रेसकोड में देखकर काफी तारीफ की और इसे हर स्कूल में लागू करने का आश्वासन दिया।
प्राचार्य का अलग रंग का ड्रेस कोड़
प्राचार्य शिक्षकों से अलग लगे इसलिए उन्हें किसी भी रंग की साड़ी पर गहरा लाल रंग का ब्लेजर पहनना है। साथ ही नेमप्लेट भी लगाना है। इससे प्राचार्य की पहचान सबसे अलग होगी।
बच्चों के यूनिफार्म का कलर भी हरे रंग का होगा
अगले सत्र से स्कूल के बच्चों के यूनिफार्म के कलर में भी बदलाव होगा। बच्चों के लिए हरा व सफेद रंग के चेक का कुर्ता और हरे रंग का सलवार या पैंट रहेगा। साथ ही सफेद व हरे रंग के चेक का हॉफ जैकेट होगा। इसके अलावा ठंड के लिए मैरून रंग का ब्लेजर होगा।
विभाग ने 2018 में दिया था आदेश
फरवरी 2018 में स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर सरकारी स्कूलों के शिक्षकों व प्राचार्यों के लिए ड्रेसकोड लागू करने के लिए कहा था, लेकिन दो साल बाद भी इसका पालन नहीं हो पा रहा है। विभाग अब तक ड्रेसकोड लागू करने की रूपरेखा ही तय नहीं कर पाया। आदेश में शिक्षिका को मैरून रंग ब्लेजर और पुरुष शिक्षक को नेवी ब्लू रंग की जैकेट पहनकर स्कूल आना होगा। साथ ही राष्ट्र निर्माता की नाम पट्टिका भी जैकेट पर लगी रहेगी।
इस स्कूल को निजी स्कूलों की तर्ज पर विकसित करने का प्रयास जारी है। अगले सत्र से एडमिशन में बच्चों की संख्या में वृद्घि हो इसके लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। सभी स्कूलों में शिक्षकों के लिए ड्रेसकोड अनिवार्य होना चाहिए। - निशा कामरानी, प्राचार्य, शासकीय विद्या विहार उमावि